बदल गए हैं पुराने वक्त अब धीरे-धीरे
आदमी के व्यवहार से ईमान धीरे-धीरे
देखा उसने जाके शहरों को धीरे-धीरे
दिल बदल गया दिमाग भी धीरे-धीरे
जाती रही खुशियां क्यों उसके सीने से
कर बैठे जज्बातों से सवाल धीरे-धीरे
मायने नहीं रखते हैं अच्छी बातें कहीं
पहचान देख के बोलते हैं आदमी धीरे-धीरे
गलत करना है अच्छी आदतों की आड़ में
व्यवहार के नाम पे मांगते हैं पैसा धीरे-धीरे
-----राजकपूर राजपूत'राज'
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