Poem for Hunger in Hindi
जब आदमी अपनी भूख के खातिर,,,
भूल जाते हैं ,,
जीवों को,,
जब आदमी अपनी सुविधा के खातिर,,,
भूल जाते हैं,,,
प्रकृति को
जब आदमी अपनी अहमियत में,,,
भूल जाते हैं,,,
दूसरों की संवेदनाओं को
और शारीरिक बनावट में अंतर कर जाते हैं
स्त्री और पुरुष को,,,
उस वक्त मानव मानव नहीं दावन है
जो भूल जाते हैं,,
स्त्री और पुरुष के रिश्तों को
प्रकृति के संतुलन को,,,
एक-दूसरे के जरूरत को,,,,,
खुद के लिए,,,,,
तैयार खड़े हैं,, ,,
निगलने सारी दुनिया को
उससे शायद ! बचेगा,,
ये जीव-जंतु और वन
रिश्तों में पवित्रता और पावन,,,
बेशक जो दिमाग से अच्छे हैं
जज्बातों से थोड़ा कच्चे हैं
जानबूझकर के अवहेलना कर जाते हैं
आजकल निजी राय सब दे जाते हैं
माफ़ करना ! गलती सभी कर जाते हैं !!!
Poem for Hunger in Hindi
धरती बहुत सुंदर है
और धरती पर रहकर
स्वर्ग की कल्पना करना
ग्वारापन है
स्वर्ग में मृत्यु के पश्चात मिलते हैं
और मृत्यु अलग-अलग समय पर होती है
जबकि हम धरती पे
साथ रह सकते हैं
इस जनम में !!!
धरती में बहुत कुछ है
मैं हूॅं तुम हो
सबसे अच्छा
हम साथ हैं !!!
मनुष्य बेहतर है
सभी जीवों में
लेकिन सभी जीवों के लिए
बेहतर नहीं है !!!
उसे मतलब चाहिए
चाहे किसी की जान चाहिए
वो खुश तो सब खुश
ऐसा उसे संसार चाहिए !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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