I am not Afraid of Death Poem
मृत्यू से मुझे डर नहीं
मृत्यू से कोई बैर नहीं
ये वो दोस्त है जो
भूले -बिसरे से रहते हैं
लेकिन छोड़ते किसी को नहीं
लाख कोशिश करे कोई
इस बीमारी का दवा बताएं कोई
लाखों तारे टिमटिमाते हैं आसमान में
देखते ही टूट गए , देखो ! तारा कोई
मत पूछो जीवन में
किसी को क्या दे पाए थे
गलती करते हुऐ इन्सान
बस इन्सान ही बन पाए थे
जीवन तो अहसास है
यादें छोड़ के जाना हैं
चले गए एक बार कोई
दुबारा नहीं आना है
मेरे अपने -पराए सब
जनाजे में आए थे
कुछ अच्छे कुछ बुरे
मुझे इन्सान बताने वाले थे
पीछे-पीछे चल के वे
आखरी सफर तक आए थे
इस आत्मा को उस परमात्मा से
वे मिलाने आए थे
रहो सलामत तुम भी
हम भी दुआ करते है
अब हम अपना -
आखरी सफर पर चलते है
रोएगी तन्हाई में
याद बहुत आएंगे
मोती यादों के आंखों से निकले
आंचल से पोछे जाएंगे
मिट जाएंगे अस्तित्व हमारा
अहसासो में यादें बनकर रह जाएंगे
मिट्टी का शरीर है यह
मिट्टी में मिल जाएंगे
मृत्यू कोई खेल नहीं है
मृत्यू कोई भय नहीं है
जीवन तो कठिन है प्रिये
इससे बढ़िया शुन्य से मेल नहीं हैं
आग देने वाले आग देंगे
मिट्टी देने वाले मिट्टी देंगे
इससे बढ़कर कोई क्या देंगे
ना करेगे शिकायत किसी से
आखरी सफर में दोस्तों
सिर्फ अलविदा कह देंगे !!!!
I am not Afraid of Death Poem
मृत्यु से डर नहीं
आएंगी आज नहीं
तो कल सही
बस मुझे जीना है
जब तक रहना है
इस धरा पर
अपना घर
बनाकर
प्रेम से !!!!
मृत्यु के समय मुझे जगाना नहीं
मैं विश्राम करूंगा
अपने सफ़र के आखिरी मंजिल पर
अकेले आराम करूंगा !!!!
डरना वहीं
जो अनिश्चित है
जैसे जीवन
सम्भाल कर रखना
जीना प्रेम से
लेकिन मृत्यु निश्चित
स्वागत पर तत्पर रहना
अचानक आने पर भी !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 हमारा अस्तित्व
---राजकपूर राजपूत
0 टिप्पणियाँ