भोजन और स्वास्थ्य Food and Health Poem Hindi

 Food and Health Poem Hindi    

   (१)
आज के जमाने में
ये इंसान भी अजीब है
तरह-तरह के व्यंजन है
और बिमारियां भी करीब है
अपने जिंद में रट लगाए
जो मर्जी सो खाएं
टेबल-कुर्सी छोड़ के
पेट में सबकुछ डाला जाए
फिर पचाने के लिए
कई तरकीब लगाया जाय
यही तो बुरी बात है
अपने ही शरीर का आघात है
डाॅक्टर बेचारा खूब मुस्कुराया
तेरी गाढ़ी कमाई से-
उसने पैसा खूब कमाया

Food and Health Poem Hindi 

        (२)
मेरा तो यही कहना है
स्वस्थ शरीर ही गहना है
भगवान ने दिए बत्तीस दांत तो
बत्तीस बार चबाना है
हवा,,,पानी और दाना
पेट में सबको जगह पाना
खाना खाते ही सो मत जाना
सौ कदम चलकर जरूर आना
ऐसे काम कभी मत करो
मुश्किल हो जाएं चल पाना
          (३)

उत्तम भोजन निरोगी काया

जो खाया है सो पाया !!!

जितना खाता है
उतना पाता है
मोटा शरीर
बीमारियों के तीर !!!

सुविधा तो बढ़ा लिए
स्वाद पाने के तरीके बढ़ाए लिए
वैज्ञानिक युग है चिंता की नहीं बात
तरह-तरह के व्यंजन तन को करें आघात !!

जितना खाएगा
डाक्टर के पास जाएगा
कई व्याधियों को साथ लेके
आखिर में मर जाएगा !!!

स्वाद ही तो है
जीने का कारण
मरने का कारण !!!

वैज्ञानिकों ने 
हार्मोन्स से मुर्गी पालन तो कर लिए 
लेकिन इंसानों का बच्चा 
बुढ़े पैदा हो रहा है 
बाल सफेद होना 
वैज्ञानिकों की देन है !!!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 निरोगी काया 

---राजकपूर राजपूत''राज''
Food and Health Poem Hindi


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ