मिलें थे जहाॅ॑ हम वहाॅ॑ इश्क़ आज भी है
कितने ग़म है जमाने में क्या दिखाए हम
तेरे बगैर सुना हर महफ़िल आज भी है
तुने दफ्न कर दिया मेरे इश्क को दिल से
सुखे हुए गुलाब मेरी किताबों में आज भी है
उसकी ऑ॑खों से शबनम अवसर में छलके
बागों में खिलते कई फ़ूल देखो आज भी है
दिल का दर्द एक जैसे हो तो कुछ सुनाते "राज"
दुनिया में 'इश्क दिवस' मनाने वाले आज भी है
पुलवामा के शहीदों को नमन 🙏🙏
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