तुम जैसे दीवाने हैं कितने
देखों बैठे हैं न जाने कितने
नाप-तौल के है अब जिन्दगी
बताओं पानी मिलाए कितने
एक तुम ही नहीं यहाॅ॑ तन्हा
मेरे भी सीने में दर्द है कितने
यकीं नहीं है अब तुझ पर भी
दिल तोड़ें हैं न जानें कितने
समझे नहीं मेरे दिल की बात
फटे कपडें बार-बार सिलते कितने
दुनिया में रहना है हॅ॑सना ही पडे़गा
तेरे सिवा गुजरेंगे दिन न जानें कितने
का़बिल बन जा तु भी इस जहा में
मंजिल की राह है न जानें कितने
_ राजकपूर राजपूत"'राज'"
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