prem-ak-ishvari-ahsas एक ईश्वरी अहसास

prem-ak-ishvari-ahsas - प्रेम एक ऐसा अहसास है जो सभी जगह , हर स्थिति/परिस्थिति में भी सुखद पूर्णता का भाव देता है । प्रेम चंद रिश्तों में सिमट कर नहीं रह सकते हैं । यदि प्रेम चंद रिश्तों में महसूस होता है तो वह प्रेम अधूरा है । प्रेम तो व्यापक है । जो अपने अहसास में सबको समेटे हुए हैं ।  पढ़िए इस पर कविता हिन्दी में 👇👇

prem-ak-ishvari-ahsas

Prem - एक सम्पूर्ण अहसास-

 प्रेम अधूरा हो जाता है

जब सीमित हो जाता है

चंद रिश्तों में

अपने धर्मों में

सीमित दृष्टिकोण में बंध जाता है

प्रेम अधूरा हो जाता है


प्राथमिकता के आधार पर

पहले , दूसरे , तीसरे

जरूरत, गैर ज़रूरत के आधार पर

रिश्तों पर ध्यान जाता है

प्रेम अधूरा हो जाता है


जबकि प्रेम व्यापक है-

ईश्वर का मापक है

स्वयं के भीतर

उस ईश्वर का अहसास हो जाता है

प्रेम पूरा हो जाता है

नहीं रहता है कुछ शेष

न सुख- दुःख न क्लेश

सर्वत्र करूणा बरसती है

जिसके हृदय में दुनिया बसती है

सब अपने जैसा महसूस कर जाता है

प्रेम पूरा हो जाता है !!!!

 

हर किसी का सलाह भाता नहीं

हर किसी को प्रेम आता नहीं

नफ़रत के सलाह थका देता है

आदमी मजबूत हो मगर रूला देता है

उसका गुरुर गया नहीं है

वक्त मगर उसको झुका देता है !!! 


मेरी प्रार्थनाओं में 

समर्पण था

एक प्रेम था

मैं हारा था

जीवन से 

जिससे मैंने ईश्वर से फरियाद की

मुझे सम्हालें

मैं सब कुछ अर्पण कर रहा हूं

तेरे सम्मुख !!!


सब कुछ हारने के बाद

लगता है बहुत कुछ है

उसके पास 

जिसके सामने हार चुके हैं

इसलिए बड़ा मानते हैं

उसके पास आते जाते हैं

फ़रियाद लेकर

हमें साथ रखें

सदा !!!

विषम स्थिति है

प्रेम के लिए

ईश्वर पर सवाल

मतलब विश्वास पर सवाल

इस ढंग से प्रस्तुत किए हैं

लोग आदमियों पे भरोसा छोड़ रहे हैं

जैसे ईश्वर को नकारते हैं

प्रेम को भी नकारते हैं !!!

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-राजकपूर राजपूत

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