-- एजेंडा आजकल सबके पास है ।Ajenda-jhud-ka एक ऐसी मानसिकता जिसे स्वयं सेट कर चुके हैं । जिसमें स्वार्थ की पूर्ति होती है । उसके बाहर सोच भी नहीं सकते हैं । रिश्तों को टटोलने का प्रयास होता है । बाकी समय मिटी बातें करते हैं लेकिन सुविधा की बातें आने पर पता चलता है । उसकी मानसिकता । ज़रा सा भी समझौता नहीं कर पाते हैं । चाहे रिश्ता चले या ना चले । उसे कोई मतलब नहीं है । लेकिन अपने सेट मानसिकता के बाहर जा सकते नहीं है ।
Ajenda-jhud-ka
जब से सच में एजेंडा छुपाने लगे हैं लोग
तब से मुंह छुपाने लगे हैं लोग
आखिर उसकी सच्चाई आ गई एक दिन
उसका भी नक़ाब उतारने लगे हैं लोग
उन्हें डर है ठगे जाएंगे बुद्धिजीवियों के हाथों में
तब से संभल - संभलकर चलने लगे हैं लोग
मासुमियत अब उसे भी अच्छी नहीं लगती है
बनावटी समझदारी दिखाने लगे हैं लोग !!
एजेंडा झूठ का
भीड़ बढ़ाओ
साथ में सारे दोगलों को लाओ
फिर गाओ
झूठ - झूठ
जोर से
सच खुद शर्मींदगी महसूस कर
चुप हो जाएगा । !!!
क्या बात है उसकी चालाकी में
मज़ा आता है उसे चालाकी में
किसी के विचार में अपना विचार मिला दिया
लेकिन वाह-वाह मिले इसी चालाकी में
बहलाना जिसका मक़सद है
तथाकथित बुद्धिजीवियों की चालाकी में !!!
हर विचार को
सही नहीं कहा जा सकता है
कुछ भावुकतावश
उत्पन्न होते हैं
जिसमें अज्ञानता की भरमार होती है
सहज सवाल
जिसके विचार में
बुद्धिमत्ता नहीं होती है
लड़कपन को समाए हुए !!!!
तथाकथित बुद्धिजीवी
तथाकथित वैज्ञानिक
और तथाकथित सेकुलर गिरोह ने
उन महान हस्तियों का नाम खराब किया है
जो समसामयिक स्थिति में
महान थे
जिसके विचारों
और विचारों में
अपनी दूषित विचार जोड़कर
दिग्भ्रमित किया
महान को
नंगा किया !!!!
जो ज्यादा सवाल उठाते हैं
स्वयं को छुपाते हैं
जिसे दूसरों की गलतियों पर ध्यान होता है
अपनी पर अभिमान होता है
तथाकथित लोग
ऐसे सोचकर महान होते हैं !!!!!
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