poetry-hindi-literature-life- कुछ लोग हैं भारत देश में , जो देश को गाली देकर पैसे कमाते हैं । इसलिए एक ऐसा एजेंडा सेट कर लेते हैं कि कैसे थकाया जाए । हीनता का भाव भरा जाय । ताकि अपनी संस्कृति पर शर्मिन्दा महसूस करें । कभी गर्व न करें । इसी एजेंडे को स्थापित करने के लिए खुद को बुद्धिजीवी होने का दावा करते हैं । इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
poetry-hindi-literature-life-
वे कोसते हैं अपने देश को
(१)
वे कोसते हैं अपने देश को
तो जरूर उसने अच्छा देश देखा होगा
जहां उसका हक़ आसानी से मिलता होगा
लेकिन अभी तक गए नहीं है इस देश से
शायद ! कोसने का पैसा मिलता होगा !!!
उसे देश में अभिव्यक्ति की आजादी है
(२)
उसे देश में अभिव्यक्ति की आजादी है
इसलिए देश को कई बार गाली दी है
वो देश के गद्दारों की पैरवी करता है
उसकी हर गाली में उसने ताली दी है
जिसके संस्कार में बुराई है
(३)
उसे बुराई करने की आदत सी है
जिसके संस्कार ने बुराई की छूट दी है
वो गला काट के भी मुस्कुराते हैं
हमारी खामोशी ने उसे खुली छूट दी है !!
इतने भी समझदार है तो उदाहरण देते
चरित्र का ऐसा निर्माण करते
अपने आसपास प्यार फैलाते
लेकिन नहीं केवल आलोचना करना है
अपनी वैज्ञानिकता भरी मानसिकता से
थकाने, हराने, डराने के लिए !!!
वो तैयार है तार्किक ढंग से
लेकिन दोगलापन है
अपने पराएं के ढंग से
भगवा से चिढ़
मगर दुलार है हरा रंग से !!!
तर्क में फर्क
उसे ही आता है
जिसे दोगलापन भाता है !!!
आज सच है
अपनों के लिए
कल बदद जाएगा सच
पराएं के लिए
उनका न्याय दोगलापन से चलता है
सियासी औजार है
तर्क
फर्क करने के लिए !!!
अभी तो और हारेगा सच्चाई
बुराई से
सियासी पंथ खड़े है
झूठ के सहारे में
सच सीधा रह गया
इस लड़ाई में !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 अपनी खामोशी को
-राजकपूर राजपूत
0 टिप्पणियाँ