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तुमसे न होगा
प्रेम की बातें
तुमसे न होगा
कभी प्रेम मुलाकातें
तुम समझ नहीं सकते कभी
प्रेम की भाषा
जीवन की आशा
तुमने तो हमेशा
बंद विचारों का समर्थन किया है
तुम्हारे इर्द गिर्द
कट्टरता की रेखा है
जिसके बाहर तुम्हें
निकलते नहीं देखा है
तुमसे न होगा
सद्भावना का निर्माण
तुमसे न होगा
दो समुदायों का निर्वाण
तुमने तो हमेशा
अपने विचारों को थोपा है
आने वाले कल के लिए
पौधा घृणा वाला रोपा है
तुमने तो चाहा है
सारी दुनिया बिखर जाय
तेरे विचार निखर जाय
दूसरों की लकीरें काटकर
खुद शिखर पर जाय
बता तुम्हें क्या समझा जाय !!!
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तुमसे न होगा
अच्छी बातें
एक में राजी
दूसरे में इतराते
यही दोगलापन
समाज को तोड़ चुका
दिल - दिमाग
सब खो चुका
तुमने सीखी है होशियारी
समान विचारों से की है यारी
जहां नफ़रत है
और सबको तोड़ने की तैयारी !!!
कोसते हैं लोग
हिन्दुओं को
उनकी जाति व्यवस्था पर
लेकिन सर्वे होगा
जाति व्यवस्था को सुदृढ़ करने
सरकार का आदेश है !!!!
तुमसे न होगा
जाति आधारित फायदा
सीख में नफ़रत ज्यादा
मानव मानव एक समान
दूसरों का मज़ाक
अपना बड़प्पन ज्यादा
न तुम वैज्ञानिक हो न बुद्धिजीवी
अभी इंसान बनने में
तुम्हें मेहनत करना पड़ेगा ज्यादा !!!!
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-राजकपूर राजपूत
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