व्यस्तता में खोता गया
busy-on-poetry-life.
आदमी परेशान था
बस रोता गया
जिंदगी के भागमभाग में
भटकता गया
वो देख नहीं पाए
सूरज की रौशनी
चांद की चांदनी
पेड़ों का हरापन
पर्वत की ऊंचाई
खुद से खुद ही
बातें करता गया
व्यस्तता में खोता गया
अब भी घिरते हैं बादल
चिड़ियों के कलरव करते हैं घायल
कल- कल करते झरने
नदियां आगे बहते- बहते
जीवन के गीत नई गाती है
आंखों को जो सुहाती है
मगर जिसके सामने से
आदमी यूं ही गुजर गया
व्यस्तता में खोता गया
आज भी वही हरियाली है
सूरज में वहीं लाली है
प्रकृति के हर रंग सही है
जहां तुम्हारा ध्यान नहीं है
कुछ वक्त निकालो अपने लिए
बेहतर जीवन को समेटने के लिए
तभी बेहतर अहसास होगा
जिससे जीवन खास होगा
अब सोच तू क्यों छोड़ता गया
आदमी व्यस्तता में खोता गया !!!
3 टिप्पणियाँ
वाह वाह अति सुन्दर कविता सर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
हटाएंवाह वाह अति सुन्दर कविता सर
जवाब देंहटाएं