विनाशकारी बुद्धिजीवी Buddhijivi-koan-hai-lekh-hindi-meregeet-sahitya-jivan
पूरे विश्व में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सबके लिए खतरा है । अपने विचार और व्यवहार से । विश्व शांति और व्यवस्था के लिए ।
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अपने किंचित स्वार्थ के लिए कुछ भी कर जाता है । जीव जंतुओं को भोजन बनाने से लेकर पेड़ पौधों के उपयोग तक पूरी परिस्थिति तंत्र को आज नुकसान पहुंचा रहे हैं । मनुष्य के पास इन सबका उपयोग करने के पीछे अपना अपना तर्क है । जिसे मन चाहे उपयोग करते हैं । हक मानते हैं इनका उपयोग ।लेकिन भूल जाते हैं अपना कर्तव्य ।
जितना जीव खाते हैं । जितना पेड़ काटते हैं । उतना संरक्षण और संवर्धन नहीं करते हैं । बस अपना काम निकलना चाहिए । जो हमारे परिस्थिति तंत्र को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं ।
सुविधानुसार ग्रहण करते हैं
ये तो हुई परिस्थिति तंत्र की बात । मानव जाति में भी यही तर्कशील लोग आज खतरा पैदा कर रहे हैं । जैसा कि सब जानते हैं,, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं । लेकिन ये महान तर्कशील व्यक्ति केवल अपने ऐजेड़े को स्थापित करने के लिए कोई एक पहलू अपने सुविधानुसार ग्रहण करते हैं । फिर बहस करते हैं । हालांकि जिसकी सच्चाई लेशमात्र है या रहती भी नहीं मगर तर्क ऐसे देते हैं । जो बड़ी से बड़ी सच्चाई को झुठला देते हैं ।
खुद को साबित करना-
शोर- शराबा, हल्ला- गुल्ला , नग्नता का प्रदर्शन करके सच्चाई को दबाते हैं । जिसका जवाब कोई समझदार व्यक्ति दे तो व्यवस्था बाधित होगी और कोई भी समझदार व्यक्ति कभी ऐसा नहीं करना चाहता है लेकिन ये हठधर्मिता कुछ मुर्ख तथाकथित बुद्धिजीवी में कूट - कूटकर भरा रहता है ।जो निर्लज्जता के साथ (जिसे वो आत्मविश्वास कहते हैं) खड़े हो जाते हैं । हर विषय पर । जो अंत्यत विनाशकारी है ।
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