तीन कविताएं Kavitay-hindi Kavita

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तीन कविताएं 

(१)

 क्यों रुक जाऍं

क्यों झुक जाऍं

मंजिल दूर नहीं

क्यों रुक जाऍं

क़दम बढ़ाओं ऐसे

आसमॉं झुक जाऍं

ऑंखों में हो लक्ष्य तो

निशाना अचूक जाऍं

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(२)

मेरी नासमझी थी

जो मेरी चाहत थी

लफ्जों से झलक रहा था

तुझे मोहब्बत नहीं थी


(३)

कोशिश ही नहीं की

वर्ना आसमां रूक जाता

यदि तुने आवाज दी होती 

तो मैं भी रूक जाता !!

(४) 

कविताएं लिखने बैठा तो

उन्हें याद कर लेना

कविताएं मीठी हो जाएगी ! !

(५)

टूटा हुआ दिल

छूटा हुआ ज़माना

कविताओं के करीब आना

लिखना अपने दर्द को

और सबको बताना !!!


कविताएं अच्छी नहीं लगती है

उनके भाव, उनकी पीड़ा

अंतर्मुखी स्वभाव और उसकी क्रीड़ा 

आदमी सोचता है

आखिर इससे क्या मिला है

न बाहरी दुनिया से तालमेल हो पाता है

अपनी दुनिया बनाकर खुद खो जाता है

ये भी कोई बात है


दुनिया कठोर है कविता कोमल

ध्यान से देखो और आंखों का मल

कब तुम्हारी समझ होगी

दुनिया की मोल होगी

तुम्हारी कविताओं में झोल होगी

तुम लिखते हो यदि दिल से

जीवन में कविता अनमोल होगी 

दिमाग से नीरसता ले आए

ये कोई बात है !!!!

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