poem of love
प्रेम कविता-
तुम इस तरह आना
मेरी जिंदगी में
बादल बन के
और बरस जाना
मेरी सूखी ज़मीं पे
मेरी प्यास बन के
और मैं महक जाऊं
खुशबू की तरह
सौधी-सौधी
चहूंओर...
जिससे मेरे प्यार का
बीज अंकुरित होगा
नई नई कोंपलें फूटेंगी
तेरे प्यार की
बारिश पाकर !!!
poem of love
मेरा प्रेम
दरवाजे की सूटकुनियां
बजाते रह गया
मगर दरवाजे न खुले !!!
-राजकपूर राजपूत
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