लगता नहीं कोई

poem on the race of life

 शहर जैसे

भीड़ में

तन्हा जैसे

लगता नहीं कोई

अपना जैसे

तलाश खत्म नहीं होती

अनवरत सफ़र जैसे

सख्त हैं रिश्ते

कांक्रीट जैसे

दिल की दुनिया नहीं

सभी दिमाग जैसे

चाल में सबकी गति है

बुलेट ट्रेन जैसे !!

poem on the race of life

ऐसा नहीं जैसा

कोई जानता नहीं

कोई समझता नहीं

रिश्तों की अहमियत

जीवन की खासियत 

मतलब नही निकलते

निकलते नहीं दिखते

उसकी क़ीमत

नहीं अहमियत !!!


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