ज़रा जिंदगी के समंदर में उतरो
वक्त की तपिश में जलकर देखो
छांव की कीमत जान जाओगे
धूप में भी ज़रा चलकर देखो
सदा मुखालिफ है धारा नदी की
मुड़ जाएगी बाजूएं लड़ाकर देखो
ये क्या बात हुई दो क़दम चले और थक गए
हर हाल में खुद को समझाकर देखो
मुश्किल नहीं है मंजिल का सफ़र"राज"
अपना मकसद में ध्यान लगाकर देखो
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