जिद Thoughts on stubbornness

 -जिद Thoughts on stubbornness

 ज़िद करना अच्छी बात है । अपनी पहचान के लिए । लेकिन याद रखे बिना समझे ज़िद करना मुर्खता की पहचान बनती है ।

- किसी को तुष्टिकरण के लिए किये गए कार्य को बार-बार दोहराने से मूल स्वभाव उसके जैसे होने लगते हैं । जिसके लिए तुष्टिकरण कर रहे हैं । 

Thoughts on stubbornness

- स्वयं के हिसाब से जीने वाले ज्यादा खुश नजर आते हैं । दुखी तो वहीं ज्यादा रहता है जो दूसरों को खुश करने के लिए जी रहे हैं । 

-खुल कर जिंदगी नहीं जीया जा सकता है । जब-तक स्वयं के निर्णय पर टीक नहीं सकते हैं । 

- किसी का भय स्वयं के दृष्टिकोण को नष्ट कर देता है । 

- व्यापक दृष्टिकोण उसी का बनता है । जिसने हर किसी को अपने जैसा महसूस किया है । 



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