मेरी स्मृति poem of love

 poem of love

मैं गुनगुनाने लगा

फिर वहीं गीत 
जो तेरे साथ गाए थे कभी
जिसे मेरी स्मृति
सजाने लगी है
तेरी यादों को
जो साथ साथ
गुजारें थे कभी
कई पल
जो आज सुकून दे रहा है !!!

 poem of love


मेरी स्मृति 
मेरी तनहाई से निकली थी 
जब मुझे उम्मीद हुई 
तुम नहीं आ सकते हो 
मेरे जीवन में 
सदा के लिए 
टूटती आस 
फिर बुनने लगा 
ख्वाब 
तेरे इर्द-गिर्द घूमती 
जिंदगी को !!!!

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