नजरिया

 नैतिक जिम्मेदारी पहले समाजिक थी । आज व्यक्तिगत हो गई है । कुछ कहने से,,,,कुछ करने से पहले,,लोग बहुत परवाह करते थे । समाज की । लेकिन आजकल ठीक उल्टा है । 

कुछ करने,, कुछ कहने से पहले खुद की हितों के बारे में सोचते हैं । समाज की नहीं । 

जो नैतिक मूल्य पहले थे वो आज हासिए में चले गए हैं । युग नहीं बदले हैं, केवल व्यक्तियों के नजरिए बदल गए

 हैं ।


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