पहन के कुछ कपड़े स्मार्ट हो जाते हैं

 जब किसी विचारों में बंध जाते हैं

खुद में सुधार की उम्मीद भूल जाते हैं


किसी पुर्वाग्रही कि तरह हठ पूर्वक

खुद के भीतर ही ऐंठ जाते हैं


गुंजाइश नहीं है फिर नए विचारों का

केवल गैरों का आलोचना कर जाते हैं


कर नहीं सकते अच्छे-बुरे का फैसला

जहॉं लालच हो वहॉं चुप हो जाते हैं


अपना चुपके-चुपके इरादे साधना

पहन के कुछ कपड़े स्मार्ट हो जाते हैं



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