Ghazal- दिल और दिमाग


Ghazal-दिल और दिमाग 

 दिल और दिमाग का 

रिश्तों में हिसाब का 

व्यापार करना जरूरी है 

मतलब बेहिसाब का 

अच्छी बातें सब भूल गए 

अमल कौन करते हैं किताब का

चतुर वो भी है चतुर तुम भी हो 

ख्याल कौन रखे यहाँ दिल का 

वो कहना सीखा है शरीफों के लिए 

उसे ध्यान है बदमाशों का 

बहलाने के लिए कई तरीकें हैं 

उसे बहुत ज्ञान है सियासत का 

अब तुम ही तलाशों राज प्यार 

  मतलब नहीं समझा इस संसार का 

Ghazal_


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ