स्थित प्रज्ञा

 केवल कुछ शब्दों में

केवल कुछ पुस्तकों में

ज्ञान की पूर्णता नहीं मिलती है

केवल जानकारी है 

जिसपर इतराने का हक़ नहीं

जबकि ज्ञान की पूर्णता

स्थित प्रज्ञा है

जो हर मूर्त और अमूर्त की अनुभूति हैं

जो यह परख लेता है कि

किसी वस्तु के गुण-दोष क्या है !!!!!!


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