उम्मीदों की फसल expectation Kavita

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 उम्मीदों की फसल

जब भी बोई है

किस्मत की हर बार दुहाई है

मन भर खाया है कीट-पतंगों ने

बच गई थोड़ी बहुत उसे

बेमौसम बरसात से गवाई है

फिर भी उम्मीद नहीं टूटी

नई फसल उगाई है

इसलिए चहुंओर धरती पे

हरियाली छाई है !!!!

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भीड़ में शामिल हो कर 

कुत्ते डरा रहे हैं 

उसे पता है 

हमला कैसे करना है 

एक के चुप होने पर 

दूसरे को भोंकना है 

एकजुटता में वो ताकत है 

शेर को भी भकाना है 

सोशल मीडिया पर 

ऐसे देशद्रोही लोगों का जमावड़ा है !!!!!


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