Maan ka thahrav Kavita
जब तक आपमें स्थिरता नहीं
तब तक मन ठहरता नहीं
और मन ठहरेगा वहॉं
आपका प्यार है जहॉं
जहॉं आपको सुकून मिलेगा
दिल कहीं जाने को न कहेगा
वहीं पल जीवन का अहम होगा
बाकी सारा संसार वहम होगा !!
मन यदि ठहर गया
जीवन वहीं ठहर गया
शांति है जिसके नाम से
अरमान वहीं ठहर गया
बुढ़े बरगद की छांव अधूरी
जब से वो शहर गया
लिखें जो ख़त उसे
दिल के जज्बात बिखर गया
दीमक चट गया किताबों को
इन्टरनेट पर ठहर गया !!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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