आपको खुद ही देखना है You'll have to See the Poem Yourself

You'll have to See the Poem Yourself समय बदलेगा । सुबह से शाम, शाम से रात होगी । समय चलता रहता है । कोई इसे अपना बना सकता है तो आदमी स्वयं । इसके हर क्षण का उपयोग करके जीया जा सकता है , बेहतरीन । ऐसा नहीं करने पर भी बिना उपयोग के गुज़र जाता है । कोई विशेष नहीं है । बचपन, जवानी और बुढ़ापा ।‌किसी के लिए नहीं ठहरता है । समय के लिए कोई अच्छा या बुरा नहीं है । केवल उपयोग करना चाहिए ,, जीवन के लिए ।
आपको खुद ही देखना है 

You'll have to See the Poem Yourself 


आपको खुद ही देखना है
सुबह जल्दी उठ के जागना है ‌

क्या कमी है सुधारों अभी
सोने का समय नहीं है जागो अभी

तुम्हारे रुकने से समय न रूकेगा
नित्य गतिशील है आगे ही बढ़ेगा

जगा लो सभी दिल के अरमान
तभी मिलेगी तुम्हें खुद की पहचान

लोग तलाशते हैं पत्थरों पे भगवान
खुद के भीतर बसे हैं लेकिन अनजान

-राजकपूर राजपूत 

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