न अर्थमय न अर्थहीन

न अर्थमय न अर्थहीन
जीते हैं लोग दिशाहीन

उदासियों के तले दबे हैं
दिल है मगर संवेदनहीन

जीने के तलब इतना ही
लूट ले गए सबकुछ दयाहीन

दुनिया के रफ्तार मेंं सभी लोग
भटक रहे हैं उद्देशहीन
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ