बहुत कुछ The Sound and Power of Words Poetry

The Sound and Power of Words Poetry 
बहुत कुछ
सुना जा सकता है
रात की गहराई में
झीगुरों की आवाजें से
हवाओं की सरसराहट
किसी की यादों की आहट
जो हृदय को छूती है
जहॉं बरबस
मन खींचा जाता है
तन्मयता से
सुनी जाती है
सारी आवाजें
रात की गहराई में
जब बस्ती
सारी सो जाती है
तुम आते हो
मेरे ख्वाबों में
ख्यालों में
और मैं सजाता हूॅं
रातभर
जब तक मुझे
नींद नहीं आती है !!!

The Sound and Power of Words Poetry


कविताएं पाठ करते हुए
कवि
भटक सकते हैं
अपने भावों से
उसके अर्थ से
यदि कविता पाठ करते करते
श्रोताओं का मन पढ़ लेता है
उनका उबाऊपन
एक कविता के प्रति
हीनता के भाव से
थक सकता है
एक कवि
उलाहना पाकर
वो कभी जोड़ नहीं पाएगा
कविता और लोगों को

मगर बंदूक लहराते हुए आदमी को
सभी सुनने लगते हैं
ध्यान से
तन्मयता के साथ
बिना हीले
जिससे सिद्ध होता है
शब्दों की प्रभावशीलता
कलम और कागज
बन्दूक और बारूद में
किसकी है  !!!

बात तो उसने भी नहीं की

मगर सुना था
ध्यान से
झींगुरों की आवाज
गुजरती हवाओं के कम्पन
रात के अंधेरे में
टिमटिमाते तारों को
चुप हो कर
अपने अंतस से
उठती आवाजें
रोक कर
कितनी धीमी आवाज है
बाहर
जिसे महसूस कर रहा था
अपने भीतर !!!

प्रेम था
इसलिए लगाव था
उसकी हर बातों पर
कभी बुरा नहीं लगा
कभी दूसरा न लगा
अपना एक रूप
जो खुद का प्रतिनिधित्व करता था
क्योंकि उससे बहुत प्यार था !!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''
The Sound and Power of Words Poetry
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