Poetry at a Glance
दिल नहीं भरता
एक नज़र में
ठहरों ! मेरे पास
तेरी तस्वीर बसा लूॅ॑
दिल में
अभी तो कुछ बूंदें
पड़ी हैं जमीं पे
तुम बरसों घनघोर
हरियाली बिछ जाए
चहुंओर
जमीं पे
सिर्फ इतनी-सी
आस है मेरी
बस तू मिल जाए
यही प्यास है मेरी !!!
Poetry at a Glance
एक नज़र में
ऐसा लगा
उसकी बातें
कितनी अच्छी है
कितना ज्ञान है
बहुत बड़ा विचार
जो आसानी से
आलोचना कर रहे थे
तर्क सहित
लेकिन गहराई में
जाकर पता चला
नफ़रत, घृणा जिससे करते हैं
आलोचना हो ही जाती है
बिना प्रयास के
उसके बाद पता चला
वो तो तथाकथित बुद्धिजीवी हैं
जो नफ़रत की वजह से
ऐसा बोल रहा है !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 तुम्हारी नज़र में
0 टिप्पणियाँ