आदमी चालाक है यहॉं

आदमी चालाक है यहां 



जो धर्म में अच्छाई होती है
उसे छोड़ देते हैं

आदमी चालाक है यहॉं
स्वार्थ से जोड़ देते हैं

तकलीफ़ होगी जिन बातों से
उसे तर्कों से तोड़ देते हैं

मनमाफिक जिंदगी है सबकी
उलझा के छोड़ देते हैं

सस्ती हो गई है धर्म की बातें
इंसानों की गलतियों को छोड़ देते हैं

स्वार्थ में डूबा हुआ इंसान को देखो
सबको बहला के तोड़ देते हैं

बदले हुए जमाने में नया क्या है "राज़"
अहमियत नहीं तो आदमी छोड़ देते हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ