प्रेम बिना

तुम्हें चाहिए था
प्रेम..
जिसके अभाव में
तुम नीरस हो
खुद से उदास हो
अवलंबन नहीं है
जीने के लिए
प्रेम बिना
जीने के लिए
मकसद नहीं
प्रेम बिना
मन भीतर
वो खुशी नहीं
जो जीवन को
दिशा दें
जिसके सहारे
तुम्हें लगे
इस संसार में
अपना अस्तित्व
ऐसा अहसास नहीं तुम्हें
प्रेम बिना
हर कोई
दूर सा लगता है
हृदय से
    -राजकपूर राजपूत
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