बहा के आंसू हल्के हो जाते हैं Shedding Tears Poem

Shedding Tears Poem 
बहा के ऑ॑सू हल्के हो जाते हैं
जो दर्द कभी कह नहीं पाते हैं
बेशकीमती है ऑ॑सू याद रखना
गिरा देते हैं जो हल्के हो जाते हैं  !!!!

जो आंसू छलकने नहीं देते हैं 
वो दर्द समझते हैं 

तुम्हारी पीड़ा उसकी
तुम्हारे आंसुओं के साथ
उसके भी बहते हैं !!!!

तुम उसे ही चाहो
जो तुम्हें चाहते हो
यहां धारणाओं में जीते हैं
हिसाब-किताब में क्यों पड़ते हो  !!!!

Shedding Tears Poem


आंसू बह कर 
कुछ कहकर 
हल्के हो गए 
जैसे रिश्ते सभी सस्ते हो गए 
जो समझ न पाए कभी 
समझाने के बाद अभी 
रोया चुप कर 
आंसू बह कर !!!!!

कवियों ने 
स्त्री का इस तरह महिमा गाया 
अब कभी आंसू नहीं आया 
रोया तो केवल पुरुष 
जब-जब स्त्री ने रूलाया !!!!

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