Kavita the bearer of secularism
तुम खुद को
सेकुलरिज्म वाहक
मान सकते हो
तुम्हारे विचार में
नवीनतम जागरण की
पुकार हो सकते हैं
जो आधुनिकता के
पोषक हो सकते हैं
जो तुम्हें लग सकते हैं
लेकिन ये विचार
पंगु भी लगते हैं,,,, तेरे
क्योंकि ये विचार
उन्हीं को प्रेरित करने के लिए है
जो पहले से ही सेकुलर है
जिसे तुम सीखाना चाहते हो
जबकि तुम
जो मानते नहीं
उसे कह नहीं सकते
क्योंकि तुम उसे डरते हो
इसलिए चापलूसी करते हो
यही दोगलापन ही
तुम्हारा खोखलापन है
जो समाज में
नफ़रत और हताशा के
रूप में प्रसारित है
तुम्हारे सेकुलरिज्म,,,,,,!!!
सेकुलर
एक बहुत बड़ा विद्वान
जिसने उन्हीं लोगों पर राय देना सीखा है
जिसने छूट दें रखी है
बोलने की आजादी
जो समझते हैं
नवीनतम विचार को
ग्रहण करने की क्षमता को !!
---राजकपूर राजपूत''
1 टिप्पणियाँ
शानदार
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