बेल की तरह

बेल की तरह
लिपट जाऊॅ॑ तेरी बाहों में
छोड़ूंगा ना साथ तेरा
सहारा मिल जाय तेरी बाहों में
और भला क्या चाहूॅ॑ मैं तुझसे
जन्नत मिलती है तेरी बाहों में
---राजकपूर राजपूत''राज''
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