अजीब शक्लें वो बनाते हैं

अजीब शक्लें वो बनाते हैं
चेहरे पे मुखौटे लगाते हैं

सच सामने आ ही जाते 
गन्दी सियासत से छुपाते हैं

दिल में मोहब्बत है उसकी
छोटी सी बातों पे मनाते हैं

जो सीखें नहीं इश्क की बातें
ना जाने कैसे लोग समझाते हैं

तुम्हीं खोल दो ना दिल के राज़
सच कहने पर वो शरमाते हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''
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