तुम गरीब हो

तुम गरीब हो
इसलिए 
भूख के पीछे दौड़े हो
धूप की आंच में
खुद को तपा दिए हो
तुम्हारी प्राथमिक आवश्यकताएं
मुश्किल से तुम्हें मिलती है
फिर भी तुम खुश हो
और ना ही तुम्हें फुर्सत है
किसी को निहारने के लिए
वक्त नहीं है 
किसी के पास बैठने के लिए
अपनी छोटी सी आरज़ू के लिए
जिंदगी लगा दिए
इसी धूप में
खुद को जला दिए
फिर भी 
दुर्भाग्य है तेरा
ये संसार 
तेरे निवाले के पीछे ऐसे दौड़े हैं
जो शायद ही कुछ छोड़े हैं
जिसकी भूख भी
तुम्हारे हिस्से से ही निकलते हैं
फिर भी तुम खुश हो
ना जाने कैसे गरीब हो
---राजकपूर राजपूत''राज''



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