धूप बहुत प्यारी लगती है

धूप बहुत प्यारी लगती है
जिसे चाहत प्यारी लगती है

बदन जलाते हैं वो धूप में
जिसे ख्वाहिश प्यारी लगती है

गुनगुनाती धूप का मजा क्या है राज़
जिसे भुख प्यारी लगती है
---राजकपूर राजपूत''राज''

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