हमने सोचा ना था

हमने सोचा ना था
तुम इस तरह बदल जाओगे
झूठ के सहारे
जिंदा रह पाओगे
सच वहीं है 
जैसे आज है और कल था
तुमने केवल परिभाषाएं गढ़ी थी
अपनी सुविधानुसार
जिसमें झूठ की परत चढ़ी थी
लोगों को बरगलाने के लिए
हमने सोचा ना था
ये दुनिया मान जाएगी
तुम्हारी बातों को
स्वीकार कर लेंगे
तुम्हारे इरादों को
और सच अकेला हो जाएगा
इस दुनिया में
---राजकपूर राजपूत''राज''
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