चाॅ॑द लगता है जैसे

चाॅ॑द लगता है जैसे
सफर में तन्हा है जैसे

बादलों की ओट से
रात भर रोया है जैसे

सितारों से सजी थी आसमाॅ॑
चाॅ॑द से दूर है जैसे

बहुत दर्द था सीने में
चाॅ॑द घटता बढ़ता है जैसे
---राजकपूर राजपूत''राज''
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ