हमें,, तुम्हें

यह जानते हुए भी
दुनिया बुरी है
यह पहचानते हुए भी
कुछ रिश्ते मतलबी है
फिर भी
व्यवहार निभाते हैं
आखिर फुर्सत ही कहां है
हमें,,, तुम्हें
जो उलझे
इन बेगैरतों से
---राजकपूर राजपूत''राज''
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