मैं और तुम

जीवन के दो पहिए
मैं और तुम
चलो चलेंगे सफ़र में
मैं और तुम
कुछ ख़्वाब सजाएंगे
कभी जागेंगे कभी सोएंगे
एक दूसरे के लिए
मैं और तुम
अपना भी आशियाना बनाएंगे
नयनों की प्यास बुझाएंगे
साथ साथ डूब जाएंगे ,प्यार में
मैं और तुम
आंधियों से टकराएंगे
अब ना कभी घबराएंगे
साथ रहेंगे हर पल
मैं और तुम
---राजकपूर राजपूत''राज''
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