सब-कुछ अनजाना सा हो जाता है

सब कुछ जाना सा हो जाता है
सब-कुछ अनजाना सा हो जाता है
ये उदासियां ही वजूद बन गए हैं
जिंदगी जुर्माना सा हो जाता है
---राजकपूर राजपूत''राज''

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ