पहले खुद को बदलो

Pahle-khud-ko-badlo- परिवर्तन के नाम पर लोग आज कहां आ गए हैं । खुद को विचारों को इतने बदलने की कोशिश कर रहे हैं कि सभी उसे आधुनिक समझे । इसी बदलाव के फेर में इंसान अत्यधिक ज़रुरी चीजों को भी भूल गए हैं । जिस चीज को मूल रूप में रखना था । उसे प्रतिकात्मक रूप में रखें हुए हैं । 
कविता गजल में 👇👇

Pahle-khud-ko-badlo

पहले खुद को बदलो 


खुद के नजरिए में कुछ कमी है "राज़"
वर्ना इतने बुरे नहीं थे ये मौसम आज

मौसम बदल गए थे या फिर तबीयत
ठहर जाता लेकिन तुने कहा मूंड नहीं है आज

पहले के लोग घूंघट में भी लजाते थे
फटी जीन्स पहन इतराते हैं आज

ये समय - समय की बात है यारों 
कल का झूठ सच साबित हो रहा है आज 

वक्त बदले हैं या फिर इंसान देखो जरा
बूढ़े बरगद का ध्यान नहीं गमलों में पेड़ लगे हैं आज !!!


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