शाम की थकावट-कविता हिंदी में

सूरज भी थक चुके थे
अपनी रौशनी समेट रहे थे
दिन भर की 
थकावट के बाद
क्षितिज की ओर जा रहे थे
पंक्षी भी उड़ रहे थे
दिन भर की 
तलाश के बाद
कुछ दाना लेकर
अपने घोंसले की ओर लौट रहे थे
अपनी नित्य क्रिया के बाद
विश्राम पाने के लिए
किसी ढलान पर
किसी पेड़ पर
गुफ्तगू होगी
अपनो से या खुद से
अपनी तलाश की
बात होगी
कुछ सुकून होगा
कुछ नाराजगी होगी
खुद के प्रयासों में
कुछ कमी होगी
जिसे पूरा करने के लिए
उसकी ऑ॑खें ख्वाब सजाएगी
और एक नई सुबह के साथ
फिर निकल जाएगी
अपनी तलाश में
एक सूरज
एक पंक्षी
---राजकपूर राजपूत''

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