सच पे पर्दा-kavita-hindi-main

kavita-hindi-main . सच - कुछ और होता है । लेकिन शब्द कुछ और होता है । बस कहने के ढंग में अंतर है । चालाकी से कहीं गई झूठ भी सच सा महसूस होता है और सच को सीधे तौर पर कहो तो झूठ । लोगों को झूठ पर यकीन इसलिए होता है क्योंकि झूठ में उसे भी सहुलियत मिलती है । जबकि सच में कठिनाइयां । 

इस पर शेर हिन्दी में 👇👇 

kavita-hindi-main

सच कहने के लिए जिगर चाहिए

वर्ना दोगले तो सच पे पर्दा डाल रहे हैं

आदमी जानबूझकर अनजान बनते हैं
समझदारी के गुण हैं उसमें

अनजान होना या अनजान बनना 
दोनों में अंतर बहुत है
एक ग्वारी है तो दूजा समझदारी है !!

पर्दा/शायरी


आलोचना में चालाकी आ जाती है तो
नफ़रत भी बहुत आ जाती है !!

लोग अच्छी बातों को याद नहीं रखते हैं बल्कि
फारवर्ड करते हैं ताकि समझदार समझें लोग सभी  !!

सच यही है कि लोग बचकर कहते हैं
वर्ना दुश्मनी की कमी नहीं होती !!

सच पे पर्दा अब लोग ऐसे डाले हैं
जैसे प्याज़ पर छिलके
एक निकालो दूसरा निकल आता है !!!

राजकपूर राजपूत 
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