असभ्यता और सभ्यता

Asabhyta and sabhyata 



मैंने बहुत से 
लोगों को देखा है
कुछ रीति रिवाजों को
तोड़ते हुए
यह कह कर
कि मान्यताएं ढोंग है
इसका चलन
अप्रासंगिक है
वर्तमान समय में
अपनाने में
जटिल है
हो सकता है
उसकी सोच सभ्य हो
या रीति रिवाज असभ्य हो
जिसमें उसकी सुविधा हो
और वो 
त्यागने की कोशिश करते हैं
एक नए विचार 
अपनाने के लिए
जो जरुरी नहीं
सभ्य हो
चालाकियों में सभ्य हो
जो कह नहीं सकते
कभी सच
क्योंकि उसके हितों को
चोट लग सकती है
इसलिए
उसकी चुप्पी हो सकती है
सभ्यता का प्रतीक
---राजकपूर राजपूत







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