Poetry has to Pemain Silent
इश्क में मौन रहना पड़ता है
दर्द है लेकिन समझना पड़ता है
गुफ्तगू में क्या रखा है
दर्द में सुकूं समझना पड़ता है
ये स्वाद ही अजीब है यारों
उसके साथ जीना मरना पड़ता है !!!
मौन रहना पड़ता है
भीड़ सुनती नहीं कोई बात
न जज़्बात
करें आघात
प्रेम के खातिर
सहना पड़ता है
मौन रहना पड़ता है
भीड़ झूठी है
एकांत में मुलाकात
उससे बात
ख्याल सजाना पड़ता है
मौन रहना पड़ता है !!!
Poetry has to Pemain Silent
भीड़ में शामिल हो तो
भीड़ का प्रतिनिधित्व करते हो
कभी एकांत में रहिए
स्वयं का प्रतिनिधित्व करोगे !!!
जब मौन रहना
इतना याद रखना
खुद से मिलना
दुनिया के ख्यालों में
मत खोना
ऐसे न मिलना
अपना अस्तित्व मिटाना है !!!
मेरे मौन के पीछे
तुम हो
मैंने कहा नहीं किसी को
इसकी वजह तुम हो
शब्द मेरे अंतर्मन में था
जिसे समझ नहीं पाया था
लेकिन अहसास होता है
तुम समझ रहे हो
जैसे मैं समझ रहा हूं
मेरे प्यार को
जैसे मैं
वैसे तुम !!!
दुनिया जब
मेरी बुराई करती है
और तुम
चुप हो जाते हो
उस समय तुम
मेरे प्रेम में हो जाते हो
खुले मन से न सही
मगर
मेरे समर्थन में हो जाते हो
मैं समझता हूं
ये भी प्रेम करने का तरीका है !!!
विश्वास था
इसलिए तेरे मौन की
भाषा पढ़ लिया
तुम्हें विश्वास नहीं
इसलिए मेरे शब्दों में
कई सवाल ढूंढ़ा तुने !!!!
मैं लौट आऊंगा
तेरे पास
भटककर
जैसे सूरज निकल आता है
रात के बाद
चांदनी बिखर जाती है
दिन के बाद
पेड़ों पर रंगत बढ़ जाती है
बरसात के बाद
वैसे ही
मैं आ जाऊंगा
तेरे पास
सारे जग से
भटक जाने के बाद
क्योंकि मुझे मिल जाता है
सुकून
तेरे पास
आने के बाद !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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