जरा सा कष्ट कर लेते/गजल/मेरे गीत poem on distress hindi

poem on distress hindi आजकल के लोग ज़रा सा कष्ट सहने को तैयार नहीं है । केवल सुविधा में जीने की आदत है । जहां केवल समय देने बात होती है । वहां भी लोग समय नहीं दे पाते हैं । निरंतर साथ देने की बात तो दूर की है । जहां उनकी जरूरत है वहां स्वयं चलकर आ जाएंगे लेकिन दूसरों की जरूरत को ध्यान नहीं रख पाते हैं । पढ़िए इस पर कविता 👇👇

poem on distress hindi

जरा सा कष्ट कर लेते
मुझे भी प्यार कर लेते

इस दौर में रिश्ते नाजुक है
मेरा भी एतबार कर लेते

जरूरी नहीं है लफ्जों की
नजरों से इजहार कर लेते

देर हुई और नाराज हो गए
तुम मेरा इंतजार कर लेते

तू नहीं तो क्या है मेरे पास
मेरे जीवन को बहार कर देते !!!

जरा सा कष्ट में

व्यवहार स्थापित हो जाता है
मतलब सध जाता है
तुमसे इतना भी न हुआ
जैसे कभी जरूरत नहीं पड़ेगी हमारी !!!

जरा सा कष्ट भी सुहाता है
जब लगाव हो जाता है
आगे से करने को तैयार
जो अच्छे इंसान होते हैं
बिन मतलब के कष्ट सह लेते हैं !!!

ज़रा सा कष्ट कर लेते
थोड़ा रुक तो जाते
कहना चाहता था दिल की बात
थोड़ा वक्त तो दें देते
मैं समझा नहीं पाया मन की बात
तू समझदार था तो समझ जाते !!!

मैं तेरे जैसा व्यवहार करूं 
व्यापार करूं 
तुम दुश्मनों से जाके 
प्यार करोगे !!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''
poem on distress hindi


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