चालाकियों से चलते हैं काम यहाॅ॑

Chalakiyon-se-chalte-hai-kam-yhan- चालाकियां लोगों की पहचान बन गई है । लोग अब दिल से नहीं दिमाग से सोचते हैं । भावनाओं में बंधना किसी को पसंद नहीं है । सबको नापतौल के साथ संबंध स्थापित करते हैं । बिना चालाकी के लोग मुर्ख समझें जाते हैं ।  रिश्ते उसी से अच्छे बनते हैं । जिससे मतलब की पूर्ति होने की उम्मीद होती है । 


Chalakiyon-se-chalte-hai-kam-yhan 



चालाकियों से चलते हैं काम यहाॅ॑
सिर्फ उन्हीं के चलते हैं नाम यहाॅ॑

मासुम बने फिरते रहे दुनिया में
मगर अच्छे इंसान बदनाम है यहाॅ॑

वो कहते रहे प्यार है हमसे
जिसे मतलब निकालने से काम है यहां

मैं जानता हूं सूरज वहीं है चांद वहीं है 
वक्त बदला है या लोग तमाम यहां 

अब पहचान नहीं पाते हैं लोगों के चेहरे
आसानी से ठगे हुए जाते हैं हम यहां 

लोग पूछते हैं मुझसे मेरी खामोशियों का राज़
अब क्या बताएं कितना सताए है हम यहां 

---राजकपूर राजपूत''

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