apvad-sabme-hai- अपवाद सबमें है । लेकिन उसे सत्य के रूप में सार्वभौमिक रूप में स्थापित करना गलत है । जो चीजें एकाध बार घटित हो जाए । उसे प्रकृति के रूप में देखना गलत है । अति सर्वत्र वर्जित है ।
कविता हिन्दी में 👇👇
apvad-sabme-hai
अपवाद सबमें है जैसे-
प्रेम एक बर्बादी है तो
प्रेम एक आबादी है
नफ़रत ज़रूरी है तो
नफ़रत बर्बादी है
कभी स्थिति में स्थिरता के लिए
कभी स्थिति को खराब करने के लिए
चिन्हांकित करने के लिए
मनाही करने के लिए
मगर कभी कभी अच्छे के लिए
हताशा है तो
निराशा भी है
क्रोध कभी बुरे के लिए
अच्छा है तो
अच्छे के लिए बुराई है
दया मानवता है तो
कभी कभी ठगे जाने का डर है
बुराई बन जाती है
लोग बुरे हैं
दुनिया के
इसलिए अपवाद की परवाह न कर
बस संतुलित नजरिया रख और चलाकर
सही गलत की परख हो
ऐसा इंसान बनाकर !!!!
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