मोहब्बत यदि पाक है

मोहब्बत यदि पाक है
मोहब्बत यदि साफ है

तो इसका विस्तार दूर तक
जमीं और आसमान तक

जहाॅ॑ दृष्टि तेरी जाती है
मोहब्बत फैल जाती है

दया करुणा से भरी हुई
आंखों में नमी जमी हुई

जो हर दर्द में झलक जाय
जिसे प्यार ही कहा जाय
---राजकपूर राजपूत''राज''
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